“महानायकों के विचार नई पीढ़ी तक पहुंचाने की जरूरत” : डॉ. रमेश पोखरियाल

आकाश कुमार ,महाराष्ट्र / वर्धा । हिंदी विश्वविद्यालय में मंगलवार को भव्य उदघाटन के साथ ही त्रिदिवसीय वर्धा साहित्य महोत्सव का आगाज हुआ। 26 -28 अप्रैल तक चलने वाले 3 दिवसीय वर्धा साहित्य महोत्सव का उद्घाटन करने पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं लोकसभा सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ पहुंचे। साहित्य में महानायक विषय पर अकादमिक संगम से वर्धा साहित्य महोत्सव 2022 की शुरुआत हुई।

बता दें कि वर्धा साहित्य महोत्सव 2022 महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के अमृतलाल नागर सृजनपीठ की ओर से दिनांक 26, 27 एवं 28 अप्रैल को आयोजित किया जा रहा है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल की अध्यक्षता में वर्धा साहित्य महोत्सव का उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर विशेष सान्निध्य हेतु प्रो. प्रकाश बरतुनिया, कुलाधिपति बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ तथा वर्धा संसदीय क्षेत्र के सांसद श्री रामदास तडस उपस्थित रहे.

बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शरीक होने पहुंचे
पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ने
संबोधन में कहा कि साहित्य में समाज के महानायकों पर आधारित वर्धा साहित्य महोत्सव का यह अभियान देशभर में पहुँचेगा। महोत्सव के माध्यम से महानायकों के विचार नई पीढ़ी में पहुचाने की आवश्यकता है।
आगे राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह नीति जैसे-जैसे युवावस्था में आयेगी, राष्ट्र विश्वगुरू बनने की दिशा में अग्रसर होगा। डॉ पोखरियाल ने कहा कि हमें अपने आचार, विचार और व्यवहार में संदेश जीवंत बनाए रखने की आवश्यकता है। हिंदी विश्वविद्यालय के नए कार्यक्रमों में विधि पाठ्यक्रमों का शिक्षण हिंदी माध्यम में आरंभ किए जाने पर उन्होंने हर्ष व्यक्ति किया साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति को क्रियान्वित करने का श्रेय इस विश्वविद्यालय को देते हुए उन्होंने कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल को बधाई दी। कार्यक्रम में प्रो. प्रकाश बरतुनिया, कुलाधिपति बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ ने भारतीय भाषाओं का अदभूत साहित्य सम्मेलन तथा संगम करार देते हुए कहा कि हमारे महानायकों ने साहित्य के माध्यम से देश, संस्कृति और मानव की सेवा की है। यह गौरव की बात है कि महोत्सव के बहाने उन महानायकों का पुनर्स्मरण किया जा रहा है।वर्धा लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्री रामदास तडस ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य समाज को आगे ले जाने का कार्य करता है। हिंदी विश्वविद्यालय की देश में नहीं अपितु विश्व में अपनी एक खास पहचान बन गई है। इस शिक्षाउपक्रम से यह महोत्सव वर्धा शहर को एक नई भी देगा।कार्यक्रम का संचालन वर्धा साहित्य महोत्सव के सयोंजक, हिंदी एवं तुलनात्मक साहित्य विभाग के प्रो. कृष्णकुमार सिंह ने किया। वहीं विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने आभार ज्ञापित किया । इस अवसर पर अतिथियों ने विश्वविद्यालय के प्रकाशन विभाग की ओर से लगाई गई पुस्तक प्रर्दशनी का अवलोकन किया। उद्घाटन समारोह में सुविख्यात साहित्यकार पद्मश्री विष्णु पण्ड्या, गोविंद मिश्र, डॉ. योगेंन्द्र नाथ शर्मा ‘अरूण’, पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र, प्रो. राजेंद्र तिवारी, प्रो. टी. वी. कट्टीमनी, प्रो. देवशंकर नवीन, के.सी.अजय कुमार, दामोदर खडसे, प्रो. चित्तरंजन कर, अग्निशेखर, डॉ. बीना बुदकी, एस. के. अग्रवाल, अमिता पाण्डेय, आनंद निर्वाण, ओमप्रकाश तिवारी, राजू मिश्र, दत्तात्रय मुरूमकर, सुमन जैन, डॉ. हिमांशु वाजपेयी, प्रो संदीप कुमार वर्मा आदि सहित विश्वविद्यालय के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष, अध्यापक, शोधार्थी, साहित्य प्रेमी एवं वर्धा शहर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।