पूर्णिया। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने 10वीं बोर्ड एग्जाम का रिजल्ट जारी कर दिया है। इस बार पूर्णिया के लाल शिवांकर कुमार ने बाजी मारी है। वह बिहार बोर्ड के टॉपर बने हैं। उनके घर में बधाई देने वालों की भीड़ लग गई। शिवांकर कुमार ने कहा कि मुझे विश्वास था कि मेरा रिजल्ट बेहतर होगा। टॉपर बनकर काफी खुशी मिल रही है। मेरी सफलता में माता-पिता के साथ स्कूल और कोचिंग के शिक्षकों का योगदान रहा। शिवांकर के पिता संजय विश्वास प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं। शिवांकर कुमार ने कहा कि तैयारी में शिक्षकों और परिवार को काफी साथ मिला। कितने घंटे पढाई करते थे? इस सवाल पर कहा कि मेरे लिए समय कभी मायने नहीं रखा। शिक्षक जैसा कहते और जो होम वर्क देते, उसे मैं समय पर पूरा करता। सिलेबस को सही समय पर खत्म करना पहली प्राथमिकता थी। इसके बाद अभ्यास पर काफी समय दिया। शिवांकर ने कहा कि मैं एनडीए की परीक्षा पासकर देश सेवा करना चाहता हूं।
मां बोली थी- घर से बाहर कर दूंगी
शिवांकर की मां कुमकुम देवी ने कहा कि जब शिवांकर पेपर देकर आया तो मैंने उससे कहा कि बहन इंटर की परीक्षा में 416 अंक लेकर आई है। तुम्हारे अंक इससे कम आए तो तुम्हें घर से बाहर कर दूंगी। उन्होंंने कहा कि बिहार टॉपर होने से बहुत खुश हूं। उन्होंने कहा विश्वास था कि मेरा बच्चा ऐसा करेगा। क्योंकि उसकी पढ़ाई देखकर हम परेशान हो जाते थे तो और कहते थे बेटा सो जाओ। लेकिन, वह काफी कम सोता था। खाना-पीना पर ध्यान नहीं सिर्फ पढ़ाई करता था। सात से आठ सिर्फ पढ़ाई करता था। जब बीच में जबरदस्ती कहते थे चलो कुछ फिजिकल काम लो। उन्होंने कहा कि शिवांकर खेल कूद से लेकर सब काम में एक्टिव रहते थे। शिवांकर के बड़े भाई आर्ट्स ड्राइंग में हैं। बड़ी बहन स्मृति कुमारी और छोटी बहन संजना कुमारी ने कहा कि हमे पूरा विश्वास था कि शिवांकर टॉपर बनेगा। लेकिन, यह हमने कभी नहीं सोचा था कि शिवांकर बिहार में टॉप करेगा।
दिए गए प्रश्नों का लगातार अभ्यास करता गया
पूर्णिया के कृष्णापुरी यादव टोला निवासी संजय विश्वास के पुत्र शिवांकर कुमार ने कहा कि विषय-वस्तु पर पकड़ बनाने के लिए एससीईआरटी की किताबों का ही सहारा लिया। स्कूल में शिक्षक जो भी बताते, उसे में नोट करता गया। दिए गए प्रश्नों का लगातार अभ्यास करता गया। वहीं शिवांकर के पिता संजय विश्वास ने कहा कि मेरी कोशिश रही कि हर हाल में घर में पढ़ाई का अच्छा माहौल दे सकूं। शिवांकर बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा था। इसकी पढ़ाई में किसी तरह की कोई कमी न हो, इसके लिए हमलोगों ने पूरी कोशिश की। वह आगे चलकर देशसेवा करना चाहता है। शुंभाकर दो भाई और दो बहन में सबसे छोटा हैं। शुंभाकर की मां कुमकुम देवी सहित तमाम परिवार में खुशी का माहौल है।