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विज्ञान संवाददाता
दुनिया के सबसे चर्चित जहाज़ टाइटैनिक का मलबा दिखाने गई पनडुब्बी टाइटन के दुर्घटनाग्रस्त होने की जानकारी सामने आई है.
ये पनडुब्बी बीते रविवार लापता हुई थी.
इसके बाद से इसकी तलाश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा था.
लेकिन गुरुवार को इस पनडुब्बी का मलबा समंदर की सतह पर पड़े होने की जानकारी सामने आई है.
अब बचावकर्ता इस दुर्घटना के कारणों को समझने की कोशिश करेंगे.
विनाशकारी विस्फोट के संकेत
रियर एडमिरल जॉन मॉगर के मुताबिक़, अब तक जो कुछ पता चला है, वह ‘विनाशकारी विस्फोट’ की बात से मेल खाता है.
क्योंकि उन्हें अब तक मलबे के दो ढेर मिले हैं. एक ढेर में टाइटन का पिछला हिस्सा मिला है और वहीं दूसरे ढेर में टाइटन का लैंडिंग फ्रेम दिखा है. ये इस बात के संकेत देता है कि पनडुब्बी में धमाका हुआ होगा.
ब्रिटेन की रॉयल नेवी में पूर्व सबमरीन कमांडर रयान रामसे के मुताबिक़, बचाव अभियान में लगी एजेंसियां इस दुर्घटना के कारणों को समझने की कोशिश करेंगी कि इस हादसे को कैसे रोका जा सकता था. इसके लिए वे मलबे के एक-एक टुकड़े को समुद्र की सतह से उठाएंगी.
वह कहते हैं, “इस पनडुब्बी में ब्लैक बॉक्स नहीं था. ऐसे में आपको इसकी अंतिम लोकेशन की जानकारी नहीं मिलेगी. लेकिन इसके अतिरिक्त इस दुर्घटना की जांच की प्रक्रिया किसी विमान हादसे की जांच से अलग नहीं होगी.”
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तलाशी जाएंगी महीन दरारें
पनडुब्बी के मलबे को समुद्र से बाहर निकालने के बाद उसके एक-एक कतरे की गहनता से जांच की जाएगी.
मलबे के सूक्ष्मतम कतरों को माइक्रोस्कोप से गुज़ारा जाएगा ताकि कार्बन फाइबर फिलामेंट के डायरेक्शन को समझा जा सके.
इस प्रक्रिया में सूक्ष्मतम दरारें तलाशी जाएंगी, जिनसे ये पता चलेगा कि इस पनडुब्बी के अंत की शुरुआत कहाँ से हुई.
इस दौरान जांचकर्ता जिस बड़े सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे, वो ये है कि क्या हादसे की वजह ढांचागत असफलता थी.
साउथहैंप्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ब्लेयर थॉर्टन कहते हैं, “अगर ऐसा हुआ था तो सबमरीन पर उतना दबाव पड़ा होगा जितना एफिल टावर का वजन है.
पनडुब्बी के मूल हिस्से में भयानक हादसे हुआ होगा जिसमें पनडुब्बी बहुत तेज़ी से बहुत कम जगह में सिकुड़ गई होगी.”
कुछ विशेषज्ञों की राय है कि इस सबके बीच सबसे अहम सवाल ये है कि अगर ऐसा हुआ है तो क्या ये ठीक ढंग से टेस्टिंग नहीं किए जाने की वजह से हुआ.
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पड़ा होगा एफिल टावर जितना भार
लंदन स्थित इंपीरियल कॉलेज के प्रोफ़ेसर रोडेरिक ए स्मिथ कहते हैं, “अगर कार्बन फाइबर बनाए जाने के दौरान उसमें आंतरिक दोष होते हैं तो उससे नुक़सान हो जाता है.
कार्बन फाइबर और टाइटेनियम को जोड़ने वाले हिस्सों की काफ़ी गहनता से जांच किए जाने की ज़रूरत होती है.”
इस पनडुब्बी में तेज़ी से इप्लोज़न यानी अंदर की ओर संकुचन होने की वजह से घटनाक्रम का पता लगाना काफ़ी मुश्किल होगा.
वह कहते हैं, “इस वजह से मलबे को बाहर निकालकर उसकी जांच किए जाने की ज़रूरत है.”
अब तक ये स्पष्ट नहीं है कि इस जांच का नेतृत्व कौन करेगा क्योंकि अब तक इस तरह की पनडुब्बी के हादसे के लिए कोई तय प्रक्रिया नहीं है.
एडमिरल मॉगर कहते हैं कि ये काफ़ी जटिल है क्योंकि ये हादसा समुद्र की काफ़ी गहराई में हुआ था जिसमें अलग-अलग राष्ट्रों के लोग शामिल थे.
लेकिन बचाव अभियान में अमेरिकी कोस्ट गार्ड की ओर से नेतृत्व किए जाने की वजह से माना जा रहा है कि अमेरिकी कोस्टगार्ड एक अहम भूमिका निभा सकता है.