उत्तर प्रदेश के बलिया में हीट वेव के बीच 68 लोगों की मौत के मामले की जाँच जारी है. लेकिन अब भी बड़ी संख्या में मरीज़ अस्पताल में भर्ती हैं.

बलिया का मामला सबसे पहले उस समय सुर्ख़ियों में आया, जब कुछ दिनों के अंदर 54 लोगों की मौत का मामला आया.

इसके बाद ये संख्या 68 तक पहुँच गई. बाद में सरकार ने जाँच टीम का गठन किया. लेकिन अभी तक जाँच टीम की रिपोर्ट नहीं आई है. अस्पताल में व्यवस्था पर भी सवाल उठे हैं|

इसी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बलिया के चितवाड़ा गाँव से आए हरेंद्र यादव स्ट्रेचर पर लेटी 65 साल की अपनी माँ लीलावती देवी का इलाज शुरू होने का इंतज़ार कर रहे थे.

उनका गाँव ज़िला अस्पताल से 22 किलोमीटर की दूरी पर है.

हरेंद्र कहते हैं कि वो पहले अपनी माँ को गाँव के पास के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लेकर गए, लेकिन वहाँ उन्हें रेस्पांस नहीं मिला.

इसके बाद वो अपनी माँ को सीधे ज़िला अस्पताल लेकर आए.

वो बताते हैं, “इनको कल उल्टी हुई, गर्मी लगी और उनकी तबियत ठीक नहीं है. अब देखिए कब तक इलाज शुरू होता है. हमारे गाँव में बहुत ज़्यादा बुज़ुर्ग लोग बीमार पड़ रहे हैं.”

हरेंद्र के बगल वाले स्ट्रेचर के पास अनिल कुमार अपने भतीजे कृष्णा कुमार के इलाज के इंतज़ार में खड़े हुए हैं.

वो कहते हैं कि कृष्णा का सुबह 10 से 11 बजे शरीर गरम हो गया, इसके बाद वे अपने भतीजे को सीधे ज़िला अस्पताल लेकर आ गए.

कृष्णा घर के किसी कार्यक्रम में बाहर गए थे और उनकी अचानक तबियत ख़राब हो गई.

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कई बुज़ुर्ग अस्पताल में

श्मशान घाट

इमरजेंसी के साथ जुड़े डॉक्टर से बीबीसी ने बात करने की कोशिश, लेकिन व्यस्तता के कारण उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया.

बलिया के ज़िला अस्पताल के इमरजेंसी में कई बुर्ज़ुगों को भर्ती कराया गया है.

इसी वार्ड में 80 साल के सुरनाथ चौधरी अपने बिस्तर पर बैठे हैं और ऑक्सीजन देने के बावजूद गहरी साँसे भर रहे हैं.

उनके पोते बृजेश यादव एक गीले गमछे से उनकी पीठ पोंछ रहे हैं. इस उम्मीद में कि उन्हें उससे थोड़ा आराम मिलेगा और उनका ऑक्सीजन लेवल बढ़ेगा.

ब्रजेश बताते हैं कि वो अपने दादा को 25 किलोमीटर दूर राजपुर से ज़िला अस्पताल लेकर पहुँचे हैं.

ब्रजेश कहते हैं, “सुबह से इनका ऑक्सीजन लेवल बढ़ नहीं रहा है. इन्हें साँस की तकलीफ़ हो रही है. घर में बैठे थे अचानक इनको तकलीफ़ हो गई. गर्मी तो है, इसलिए गर्मी की वजह से हो रहा है. गर्मी की वजह से हम इन्हें पानी लगा कर पोंछ रहे हैं.”

लेखपाल छट्ठू यादव अपने साथ काम करने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर राजेश कुमार को लेकर अस्पताल आए हैं.

वो बताते हैं, “काम के बोझ और तेज़ धूप की वजह से उनकी ऐसी स्थिति हो गई है.”

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क्या कह रहे हैं सरकारी डॉक्टर?

सरकारी अस्पताल

लखनऊ से ज़िला अस्पताल का निरक्षण करने आए निदेशक डॉक्टर केएन तिवारी ने कहा था, “आप भी (मीडिया) देख रहे हैं कि यहाँ कोई आइसोलेटेड हीट स्ट्रोक का मरीज़ तो है नहीं. हाँ, किसी को साँस की परेशानी है, तो कोई लंबे समय से बीमार है, तो यह कहना कि हीट स्ट्रोक से मौत हो रही है या स्ट्रोक के मरीज़ आ रहे हैं, तो इसमें अलग से हीट स्ट्रोक के मरीज़ तो नहीं हैं. यहाँ नहीं मिले हैं.”

अधिकारी के इस बयान पर लेखपाल छट्ठू यादव कहते हैं, “एसी से 10 मिनट के लिए निकलेंगे, तो क्या समझेंगे कि क्या परिस्थितियाँ हैं. फ़ील्ड में घूमते, दोपहर के समय किसी के यहाँ जाते, तब न समझ में आता. बस गाड़ी से उतरे और यह कहना कि कोई हीट स्ट्रोक नहीं है, यह कहना कितना सही है. एसी गाड़ी से निकलने वाला किसी के दुख दर्द को क्या समझ सकता है? यहाँ के किसानों से पूछा जाए, आम जन मानस से पूछा जाए कि गर्मी से किस तरह लोग बेहाल हैं.”

स्वास्थ्य निदेशक डॉ. एके सिंह का बयान आया था कि जब वो मृतकों के गाँवों से होकर आए तो “सब लोग तसल्ली से बैठे हुए थे. किसी भी गाँव में अफ़रा-तफ़री, बेचैनी, पैनिक नहीं था और हम तीन चार गाँव में गए.

इस बयान के बारे में लेखपाल छट्ठू यादव कहते हैं, “आप आज किसी गाँव में जाइए, देखिये क्या स्थिति है. लोग घर छोड़ कर बागीचे में रह रहे हैं. लोग पक्का घर छोड़ कर मिट्टी के घर में रह रहे हैं.”

जैसे ही हम और आगे बढ़े, तो एक मज़दूर दो बड़े एसी लगा कर जा रहा था.

हमने पूछा तो उसने बताया कि एसी अस्पताल के स्टोर रूम से लेकर वो दूसरे विभाग में ले जा रहा है. दिखने में दोनों स्टैंडिंग एसी बिल्कुल नए लग रहे थे.

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एसी है फिर घर से पंखा क्यों?

अली हसन
इमेज कैप्शन,65 साल के अली हसन ऐसी होने के बावजूद घर से अपना पंखा मंगवा कर अपने पर हवा देने के लिए लगवा लिया है.

अस्पताल में आगे बढ़ने पर हमने जगह-जगह और कॉरिडोर में भी एसी लगे हुए देखे.

एक वार्ड में भर्ती 65 साल के अली हसन ने वार्ड में एसी होने के बावजूद घर से अपना पंखा मंगवा कर लगवा लिया है.

अली हसन कहते हैं, “लू चल रही है, गर्मी पड़ रही है इसलिए बीमार पड़ गया. मैं बाज़ार में आया गया और लू लग गई. मुझे पहले से साँस लेने में तकलीफ़ है.”

जितेंद्र वर्मा एक विकलांग ई-रिक्शा चालक हैं और वो बताते हैं कि उन्हें सुबह रिक्शा चलते समय लू लग गई.

वो कहते हैं कि इससे पहले उन्हें अपने पैरों की विकलांगता के अलावा कोई और बीमारी नहीं थी.

जितेंद्र कहते हैं, “मैं चाहता हूँ कि यहाँ सुविधाएँ और बेहतर हों ताकि मरीज़ों को किसी प्रकार की परेशानी ना हो. सरकार पूरे क़दम उठा रही है लेकिन कुछ निचले किस्म के लोग अपने स्तर से लागू नहीं कर पा रहे हैं.”

ज़िला अस्पताल से 6 किलोमीटर दूर गंगा किनारे श्मशान घाट पर हमारी मुलाकात जितेंद्र कुमार और उनके भाई देवेंद्र कुमार से हुई.

दोनों भाई कुछ ही देर पहले अपने 85 साल के पिता ओम प्रकाश को मुखाग्नि देकर, जलती चिता के पास बैठ कर उसके बुझने का इंतज़ार कर रहे हैं.

जितेंद्र कहते हैं, “पिताजी की उम्र तो हो ही गई थी और गर्मी इन्हें ज़्यादा ही परेशान कर रही थी. इन लोगों के साथ हीट स्ट्रोक का ज़्यादा ही प्रॉब्लम था. जब बिजली कटती है, तो युवा तो बर्दाश्त कर लेते हैं लेकिन बुज़ुर्ग कैसे जीवित बचेंगे.”

सरकार की कार्रवाई के बारे में जितेंद्र कुमार कहते है, “सरकार की योजनाओं के अनुसार काम हो तो जनता कभी परेशान ही न हो. सरकार भी उन्हीं की है, नेता लोग भी उन्हीं के हैं, पब्लिक भी उन्हीं की है. तो कहीं न कहीं से सब लोग अपने स्वार्थ में लगे हुए हैं. तो कहीं न कहीं सारे लोगों के बड़े पेट हैं. अगर सब लोग अपने पेटों को छोटा कर दें, तो किसी को परेशानी ही ना हो.”

जितेंद्र के साथ खड़े उनकी बातें सुन रहे उनके चचेरे भाई देवेंद्र सरकार के रवैए के बारे में कहते हैं, “एक तरह से कह दिया जाए कि बलिया को अनदेखा कर दिया. यहाँ चिकित्सा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है. यहाँ पर मंत्री और अन्य आश्वासन देते हैं और कुछ नहीं करते हैं. और इसका परिणाम है कि हीट वेव से बहुत लोग मर रहे हैं.”

मौतों की विशेष जाँच के बारे में जितेंद्र कहते हैं, “जाँच टीमें बिठा देंगे. सरकार जाँच कराएगी और क्लीन चिट भी मिल जाएगी सरकार को. क्योंकि अधिकारी भी उनके हैं, नेता भी उनके हैं, सब कुछ सरकार का है. सरकार के सामने विपक्ष अगर मुद्दा उठता है, तो वो बिल्कुल कहेगी कि राजनीति हो रही है. लेकिन सत्ता में बैठे हैं, तो जवाब तो देना ही पड़ेगा.”

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श्मशान का हाल

धीरेंद्र नाथ सिंह
इमेज कैप्शन,धीरेंद्र नाथ सिंह के पिता पिछले महीने भर्ती हुए थे लेकिन वे घर नहीं लौट पाए

जितेंद्र कुमार के साथ साथ धीरेंद्र नाथ सिंह अपने 80 साल के पिता के अंतिम संस्कार के लिए घाट पर पहुँचे हैं.

वो कहते हैं, “पिता को पिछले महीने इलाज के लिए भर्ती कराया था, लेकिन वह वापस घर पर लौट आए थे.”

मौत की वजह वो “धूप और हीट वेव” मानते हैं.

लगातार तीन दिन से धीरेंद्र किसी किसी न किसी के अंतिम संस्कार में शमशान घाट आ रहे हैं. और आज ख़ुद वो अपने पिता को मुखाग्नि देने आए हैं.

धीरेंद्र सिंह मानते हैं कि हीट वेव की वजह से काफ़ी मौतें हो रही हैं.

वे कहते हैं, “मौत का सरकारी आँकड़ा दूसरा है और गाँव में हो रही मौतों का आँकड़ा दूसरा है.”

ऐसी घटनाओं में प्रशासन की क्या ज़िम्मेदारी बनती है, इस बारे में धीरेंद्र सिंह कहते हैं, “प्राकृतिक कारण हैं. इसमें प्रशासन क्या करेगा, सरकार की क्या कमी है? जब लू चलेगी तो सरकार की उसमें क्या कमी होगी? जब मौसम सही होगा, सब सही हो जाएगा.”

श्मशान घाट पर काम करने वाले अमित बताते हैं, “आज यहाँ सिर्फ़ 8-10 लाशें आई हैं. सुनने में आया कि इसके पहले एक दिन में 60-70 आ जाती थीं. कभी एक दिन में 35 शव आए. पिछले 10 दिन में यही हो रहा है. 20 तारीख़ से स्थिति नॉर्मल है.”

68 मौतों के आँकड़े सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और ज़िला प्रशासन की तरफ़ से कोई ताजा आँकड़े जारी नहीं किए गए हैं.

बीबीसी ने प्रशासन की ओर से उठाए जा रहे क़दमों के बारे में बलिया ज़िला अस्पताल के चीफ़ मेडिकल सुपरिंटेंडेट (सीएमएस) एसके यादव से बात की.

क्या अस्पताल में गर्मी से परेशान मरीज़ों अब भी आ रहे हैं?

इस बारे में सीएमएस एसके यादव ने कहा, “हमारे यहाँ रोज़ 8-10 लोग टर्मिनल बीमारी की वजह से आते हैं. हीट वेव की तो कोई बात ही नहीं हुई. बलिया का इलाक़ा बहुत बड़ा है. 140 किलोमीटर एक तरफ़ है, 100 किलोमीटर एक तरफ़ है और बीच में अस्पताल है. हमारे यहाँ टर्मिनल बीमारी के मरीज़ भी हमेशा आते हैं. और हमारे यहाँ रोज़ सौ, सवा सौ, डेढ़ सौ भर्ती होते हैं. और आसपास कोई बड़ा अस्पताल नहीं है. तो यहीं पर लोग आते हैं.”

अस्पताल में व्यवस्था के बारे में एस के यादव ने बताया, “अस्पताल को ठंडा रखने के लिए कूलर और एसी लगाए गए हैं. अब अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ, दवाइयां और फ़र्नीचर हैं.”

लखनऊ से बलिया पहुँची जाँच टीम के बारे में सीएमएस एसके यादव ने कहा, “वो लोग आए थे लेकिन अब वो लौट चुके है. उनकी प्रक्रिया वो आगे बढ़ा रहे होंगे. अभी उनसे फ़ीडबैक का इंतज़ार है.”

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