किशनगंज। एआईएमआईएम नेताओं ने बिहार में शिक्षा की दयनीय स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है।पार्टी द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया गया की
बिहार सरकार का हालिया फैसला जो की शिक्षक भर्ती के लिए डोमिसाइल की आवश्यकता नहीं है, बिहार के छात्रों के हित के खिलाफ है। इससे बिहार के अभियार्थियों के शिक्षक बनने का रास्ता कठिन हो गया है। विश्वविद्यालयों की शिक्षा स्तर भी दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है और हजारों पद अभी भी खाली पड़े हैं, जिन्हें जल्द से जल्द भरा जाना चाहिए ताकि पठन पाठन का काम सुचारू ढंग से हो पाए। बिहार स्कूल के शिक्षकों की हालत भी दयनीय है। तमाम नियोजित शिक्षकों को नियमित कर्मी के पद पर बहाल कर शिक्षकों के मान सम्मान को बढ़ाया जाए।

जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि मदरसा शिक्षकों की स्थिति भी दयनीय है, ना उनको समय पर वेतन मिलता है और ना ही स्कूल शिक्षकों और स्कूलों की तरह सुविधाएं दी जा रही है जबकि वहां पर भी बिहार के ही बच्चे पढ़ते हैं और सरकार को उनकी स्थिति सुधारने के लिए काम करनी चाहिए। बिहार सरकार के इस डोमिसाइल फैसले से दूसरे राज्यों से शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो जाएगा, जिससे बिहार की बेरोजगारी पर और ज्यादा असर पड़ेगा।

एआईएमआईएम नेताओ ने कहा की
“हम बिहार सरकार से शिक्षक भर्ती के लिए एक मजबूत डोमिसाइल नीति लागू करने का आग्रह करते हैं। सरकार को शिक्षा क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और अन्य राज्यों से शिक्षकों की भर्ती का मार्ग प्रशस्त करने के बजाय राज्य में शिक्षकों और छात्रों के लिए बेहतर अवसर प्रदान करना चाहिए।

नेताओ ने कहा की AIMIM किशनगंज इकाई बिहार सरकार को शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल लागू नहीं करने के फैसले को वापस लेने का समय देती है। बिहार सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करनी चाहिए, जो बिहार के छात्रों के हित के खिलाफ है। अन्यथा AIMIM किशनगंज इकाई 8 जुलाई 2023 दिन शनिवार को किशनगंज समाहरणालय के आगे बिहार सरकार की शिक्षा नीति के खिलाफ विशाल धरना प्रदर्शन करेगी।

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