श्रवण कुमार, पूर्णिया। देश में बाघा बोर्डर के साथ पूर्णिया शहर के झंडा चौक पर 14 अगस्त की मध्य रात्रि को ध्वजारोहण की अनूठी परंपरा पल रही है। 14 अगस्त की मध्य रात्रि पूरा शहर देशभक्ति के नारों से गूंज उठता है और लोग राष्ट्रीय महापर्व के रंग में डूब जाते हैं। सोमवार की रात भी घडी की सूई के बारह का कांटा पार करते ही यह चौराहा देशभक्ति के नारों से गूंज उठा। समाजसेवी विपुल सिंह की अगुवाई में ध्वजारोहण हुआ। सदर विधायक विजय खेमका, महापौर विभा कुमारी, जदयू नेता जितेंद्र यादव,वार्ड पार्षद नवल जयसवाल, अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक, अनिल चौधरी सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे।
रोचक है इस परंपरा की शुरुआत की कहानी
आधी रात को झंडोत्तोलन की परंपरा की शुरुआत की कहानी काफी रोचक है। विपुल सिंह कहते हैं कि साल 1947 में जब घड़ी की सुई 12 बज कर 01 मिनट पर पहुंची, ठीक उसी समय भारत के आजादी की घोषणा रेडियो पर की गई थी। उसी समय पूर्णिया के स्वतंत्रता सेनानी और उनके दादा रामेश्वर प्रसाद सिंह, रामरतन साह और शमशुल हक के साथ मिलकर मध्य रात्रि में भट्ठा बाजार में झंडा फहराया था। तभी से हर साल यहां मध्य रात्रि में झंड फहराने की परंपरा चली आ रही है।
स्थानीय लोग भी आधी रात को ध्वजारोहण में होते हैं शामिल
सदर विधायक विजय खेमका ने कहा कि यह पूर्णिया ही नहीं, बल्कि बिहार के लिये गौरव की बात है। पूरे देश में आज भी वाघा सीमा के बाद पूर्णिया के झंडा चौक पर मध्य रात्रि को सबसे पहले झंडोत्तोलन किया जाता है। भट्टा बाजार के झंडा चौक पर स्थानीय लोग भी आधी रात को इकट्ठा हो जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्त्ता अनिल चौधरी और दिलीप कुमार दीपक ने कहा कि उनके परिजनों ने जैसे ही रेडियो पर देश की आजादी की घोषणा सुनी तभी रात के बारह बजकर एक मिनट पर यहां झंडोत्तोलन किया था। तब से यह परंपरा चली आ रही है।