कैमूर/भभुआ(ब्रजेश दुबे): मानवीय प्रकृति यूं तो देवताओं को भी दुर्लभ है। परंतु श्री युक्त भक्ति होने के कारण देवता सर्व पूजित हैं। लेकिन हम मनुष्य ही उन सम्पूर्ण देवताओं को अतिसय प्रिय हैं। क्योंकि मानव सभ्यता का प्रथम सत्कर्म है आचरणवान होना। आचरण के हीं द्वारा मनुष्य को यथायोग्य ज्ञान कि प्राप्ति होती है और यही ज्ञानवान मनुष्य सचमायने में उतकृष्ट भक्ति कर सकता है। उक्त बातें श्रीधाम वृंदावन से पधारे अन्तर्राष्ट्रीय कथा वाचक पूज्य पंडित श्री विश्वकान्ताचार्य महाराज (आचार्यद्वय ) ने भभुआ नगर के वीआईपी कालोनी वार्ड नंबर 3 में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के अन्तर्गत कही। महाराजश्री ने कहा कि जब भी मन विचलित हो, अशांत हो या भगवान के प्रत्यक्ष श्रीविग्रह का दर्शन लाभ लेना हो तो हम जीवों को क्षणात ही तिर्थस्थलों की यात्रा करनी चाहिए। जहाँ जाने से भगवान अपने षड ऐश्वर्यों के साथ युक्त होकर हमें अनुग्रहीत करते हैं। यही कारण था कि जब नारद जी भारत भुमि पर सर्वप्रथम आए सर्वत्र भ्रमण भासण करने के बाद जब उन्हें भक्ति नहीं दिखी तो तुरत हीं वृंदावन कि यात्रा किए। जहाँ भगवान के कृपा से उन्हें भक्ति ज्ञान वैराग्य से मिलन लाभ प्राप्त हुआ। लेकिन तबतक प्रायः प्रायः भक्ति उस समय तक भक्ति जिर्ण शिर्ण हो चुकी थी। ज्ञान वैराग्य भी मृतसदृश्य हो गये थे । नारद जी को यह देख कर अपार कष्ट हुआ। देवर्षी नारद उसी समय भक्ति मैया को पुनः जन जन में विस्थापित करने का संकल्प लेते हैं और उपाय के तौर पर ब्रह्मपूत्र सनकादियों के माध्यम से श्रीमद्भागवत्कथा का आयोजन कर उनको पुनः प्रौढ़ बना देते हैं। यही कारण है कि आज के समय में श्रीमद्भागवत्कथा कलिकाल का सर्वोपरि साधन है। जिससको श्रवण कर मनुष्य सर्वस्व प्राप्त कर सकता है। कथा महात्म के अंतर्गत गोकर्ण, धुंधकारी, आत्मदेवोपाख्या का सविधि वर्णन महाराज जी ने किया।
इधर, भागवत्कथा के श्रोता वक्ताओं का लक्षण एवं श्रवणविधि का भी उल्लेख साङ्गोपाङ्ग किया गया। उसी क्रम में आचारत्व करने के लिए काशी से वैदिक उमेश पाण्डेय अपने सभी टीम के साथ पहुंचे हुए हैं। जिसमे पारायण पर पं० राहूल दूबे हैं। वहीं संगीत टीम में तबला पर संगीत टीचर शिवकुमार शुक्ल, आर्गन पर शिक्षक प्रमोद पांडे तथा पैड पर सुमित साथ दे रहे हैं। आयोजक के तौर पर भागवत सेवा समिति के सदस्यों ने बताया कि कथा श्रवणा कर सभी नगरवासी जैसे सुरेश अग्रवाल, चंदन, पंकज श्रीवास्तव, डॉ मनोज दुबे,विसेश्वरनाथ दुबे, दादु सिंह, राजीव सिंह,अरविंद अरुण तिवारी,सुधाकर इत्यादि सैकड़ो भक्त आनंदित हो रहे हैं।